भयानक है भीड़ में औरत होना
महीने के दर्द से तड़पते रह जाना,
लेकिन किसी से बता नहीं पाना,
खून से सना वस्त्र लपेटे, समेटे अपना अंग,
सिकुड़ जाना खुद में,
लोंगों को पता चलने से डर जाना,
भयानक है, भीड़ में औरत होना।
क्या होता है भीड़ में औरत होना?
गर्भ से है, फिर भी मीलों है चलते जाना,
बेइंतहा तकलीफ बर्दाश्त करते जाना,
कहीं, पीछे न छूट जाए,
सड़क पर बच्चे को जन्म देने के बाद,
जन्म-मरण के इस खेल का पात्र बन,
पैदा होते ही उस नवजीवन को खो देना,
भयानक है, भीड़ में औरत होना।
क्या होता है भीड़ में औरत होना?
किसी की गीदड़ सरीखी नजरों से पलकें झुका
लेना,
किसी के अभद्र शब्दों को सुनकर भी अनसुना कर
देना,
तो कभी अपने स्तन की ओर बढ़ते बाजुओं को
ढकेलते हुए अपने अस्तित्व को कोसना,
अपने औरत होने के मलाल पर सिसकियां भरना,
भयानक है, भीड़ में औरत होना।
-अनुराधा
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बेहतरीन लिखा है
ReplyDeleteAwesome yr
ReplyDeletebeautifully written, painfully explained.
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