Sunday, May 24, 2020


क्या ऑनलाइन कंटेंट हमारे भीतर अभद्रता ठूंस रहें हैं?

चाहते हुए भी मैं अक्सर गाली दे देती हूं

" खुद को एक नारीवादी मत कहना अगर तुम गाली देकर सभी औरतों की और खुद की बेइज्जती करती हो।" मेरे एक दोस्त ने जब मुझसे यह कहा तो मेरे पास उसके इस बात का कोई जवाब नहीं था।

मुझे बुरा लगा और मैंने फैसला किया कि आज से गाली नहीं दूंगी। लेकिन हमेशा की तरह इस बार भी गाली देते समय भूल गई और ऐसी कसम कम से कम 100 बार खा चुकी हूं। ऐसा लगता है कि भद्दी गालियां देना हमारे जीवन का एक हिस्सा बन चुकी है।


मानो लोग जब गालियां देते हैं तो एक तरह के शक्ति, तृप्ति और विजय का एहसास होता हो।
हम खुश होते हैं, गाली देते हैं; हम गुस्सा होते हैं, गाली देते हैं; हम परेशान होते हैं, गाली देते हैं। लेकिन शायद हम पूरी तरीके से इसके जिम्मेदार ना हों। यह आचरण हमारे जीवन का हिस्सा बन चुका है जिसका एक कारण है- मनोरंजन सामग्री के जरिए रोज इस भाषा का उपभोग।


Image: Pataal Lok
हाल ही में आयी एक वेब सीरीज पाताल लोक  इंटरनेट पर जमकर सुर्खियां बटोर रहा है और लोगों को खूब पसंद रहा है। आनी भी चाहिए, गज़ब का प्लॉट और कहीं हद तक सच्चाई से रूबरू कराता हुआ सीरीज है। सब कुछ एकदम परफेक्ट है, सिवाए एक चीज के - गैर जरूरी गालियों से लबालब सीन्स। मेकर्स को पता है कि गालियां और अन्य नेगेटिव चीजें लोगों को आकर्षित करती हैं। यही कारण है की सैक्रेड गेम्स से लेकर मिर्जापुर में लगभग हर सीन में भर भर के गालियां देखने को मिली। पाताल लोक में कुछ शब्द इतने अभद्र हैं जिसे किसी को मुंह से बताया भी नहीं जा सकता। यह शायद मैंने गांव में ही अपने बचपन में सुनी थी।

Mirzapur

फिल्म गैंग्स ऑफ वासेपुर  की सफलता ने लगता है गालियों के ट्रेंड को और बढ़ावा ही दिया है। लेकिन एक तरह से यह अभद्र भाषा की संस्कृति को पनपने में बड़ी भूमिका निभा रहे हैं। क्या यह चिंता का विषय नहीं है? अगर एक छोटा सा बच्चा कहता है "चल भी**के, मा***!
पिछले हफ्ते एक यूट्यूबर और टिक टॉकर के बीच हुई जुबानी जंग के परिणाम स्वरूप लाखों लोगों ने ट्विटर पर #आईसपोर्टकैरीमिनाटी के जरिए यूट्यूबर को भारी सपोर्ट किया। यहां तक कि दो-तीन दिन में ही उनका सब्सक्रिप्शन 15 मिलियन के पार चला गया लेकिन इस बीच हमने फिर से गालियों को ग्लैमराइज करते हुए ऐसे लोगों को बढ़ावा दिया जो अभद्र टिप्पणी करके और गंदी गालियां बक कर पैसा कमाते हैं। ऐसे मामले आए जब एलजीबीटी के सदस्यों को उस वीडियो में इस्तेमाल हुए शब्दों से पुकारा गया, उनकी बेइज्जती की गई।
और सिर्फ यूट्यूबर ही नहीं कई स्टैंड अप कॉमेडियंस और तथाकथित इनफ्लुएंसर्स से इंटरनेट भरा हुआ है जिनके कंटेंट हम रोज़ कंज्यूम करते हैं।


left: Amir Sidhhiqui, right:Carry Minati

पहले मैं अपनी गलती को छुपाने के लिए बोल देती थी, दिल्ली से हूं b**** लेकिन बाद में बुरा लगता है और फिर से वही काम करना,  'इससे बड़ी हाइपॉक्रिसी तो  कोई नहीं है।
मैंने यह लेख इसलिए लिखा क्योंकि मुझे लगता है कि कैमरे के बाहर की दुनिया में शायद उससे भी ज्यादा गालियां पड़ती हो लेकिन उसे बार-बार ऑनस्क्रीन दिखाकर हम इसे फैशन बना रहें हैं। और ये दिन दिन पहले से भी ज्यादा अभद्र होते जा रहें हैं।

No comments:

Post a Comment